प्रेम दो शरीरों का नहीं,
बल्कि दो आत्माओ का मिलन है।
आपके शरीर ने अपने अंदर आत्मा धारण नहीं की है,
बल्कि आपकी आत्मा ने अपने बहार एक शरीर धारण कर रखा है।
आत्मा सबसे उत्तम, सब सुखों और दुखों को ग्रहण करने वाली है।
इसके दर्शन करों। ये आपके मरणषील शरीर में अमृत ज्योति है।
अन्तरात्मा हमें न्यायाधीश के समान दण्ड देने से पूर्व,
एक मित्र की भांति चेतावनी देती है।
कला मानवीय आत्मा की गहरी परतों को उजागर करती है।
डॉ॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन
कला तभी संभव है जब स्वर्ग धरती को छुए।