Aaina Quotes in Hindi

आईने की अहमियत तो सभी लोगो को पता ही होगा क्योंकि इसके बिना खुद को देख पाना सदियों तक नामुमकिन रहा है। आज के समय भले भी कैमरा एक जरियाँ बन चूका है खुद को देखने का लेकिन आज भी आईने के बिना जीवन जीना बहुत मुश्किल सा है। आइना का इस्तेमाल हमेशा से शायरों द्वारा होते रहा है, इसके जरिये उन्होंने जीवन के कई पेहलूओं का समझने की कोशिश की है।

आईने के बारे एक बात बहुत प्रसिद्ध है की ये कभी झूठ नहीं बोलता, हमेशा जो जैसा होता है वैसा ही दिखाता है। इंसानो को भी आईने की तरह होना चाइये जो लोगो को उनकी हकीकत दिखा पाए। इसके सिवा अक्सर आईने और टूटे हुए दिल के ऊपर कई शायरी बानी है, इन दोनों के बीच एक गहरा रिस्ता रहा है।

तो चलिए आज के आर्टिकल में हम आपको आईने पे कोट्स देने वाले है, जिनका इस्तेमाल आप अपने जीवन में कई महत्वपूर्ण क्षणों में कर पाएंगे। इन कोट्स को आप अपने परिवार, दोस्तों, और प्रेमिका के साथ शेयर कर सकते है।

आईना कोट्स हिंदी में

तेरे नैनो में जब से मैंने अपना अक्स देखा है,
मेरी सूरत को कोई और आइना अच्छा ही नहीं लगता।

हर किसी के पास अपने अपने मायने हैं।
अपने को छोड़ सिर्फ दूसरों के लिये ही आईने हैं।

औकात अपनी पहले बनाने की बात क़र,
फिर आइना किसी को दिखने की बात कर।

आईना भी तुम्हे देख आहे भरता होगा,
इतना भी खुद को निहारा ना कीजिये.

आईने को भी खूबसूरत बना देगी,
तुम्हारे चेहरे की मुस्कान.

साहब वक़्त का आईना वहीं होता है एक जैसा,
बस उस आईने में किरदार बदलते रहते हैं.

तू मेरे वजूद में काश ऐसे उतर जाए,
मैं देखूं आईना और तू नजर आए।

आईना दिखा छोटा सा मुँह कर दिया,
मैडम को अपनी खूबसूरती पे इतना ग़ुरूर था।

बेज़ान आईने का दखल ग़वाऱा नही मुझे,
मैं केवल खुद को तेरी आँखों में देखना चाहता हुँ.

आईना देख अपना सा मुँह ले के रह गए,
साहब को दिल न देने पे कितना ग़ुरूर था.

मिर्ज़ा ग़ालिब

आईना ये तो बताता है कि मैं क्या हूँ,
मगर इस बात पर है ख़ामोश कि मुझ में क्या है?

कृष्ण बिहारी नूर

मै तो उसका हो चला उसकी एक झलक पाकर,
ना जाने हर रोज़ आईने पर क्या बीतती होगी।

आईना भी देखे तो देखता रहे तुम्हे,
खूबसूरती की वो मिसाल हो तुम.

क्या करेंगे हम दिखावे से भरे संसार में,
यहाँ तो आईना भी फितरत से जुदा लगता है।

वो कहते हैं हम उनकी झूठी प्रशंसा करते हैं,
ऐ ईश्वर एक दिन के लिए आईने को भी ज़ुबान दे दे।

आईना देख के बोला ये सँवरने वाले,
अब तो बेमौत मरेंगे मेरे पर मरने वाले।

शिक़ायत है, मुझे आईने से तुम्हारे,
तुम मुझसे मिलने आती हो,उससे मिलने के बाद।

वह जो मुँह पर सबके हंसते है¸
उनको तोहफे में एक आईना दीजिए।

ज़िन्दगी का आइना जब भी उठाया करो,
पहले खुद देखो फिर औरों को दिखाया करो।

उनकी आँखों में ये आँखें थी और इन आँखों में वो,
आईने के सामने रक्खा हुआ था आईना।

अन्दाज अपना देखते हैं आइने में वो,
और ये भी देखते हैं कोई देखता न हो।

आइना कोई ऐसा बना दे ऐ खुदा जो,
इंसान का चेहरा नहीं, किरदार दिखा दे।

मुझमें कमी निकालना भूल जाएंगे लोग,
अगर उनको तोहफे में मैं आईना दे दूं।

दिल साफ करके मुलाकात की आदत डालो,
धूल हटती है तो आईने भी चमक उठते हैं।

मैं तो ‘मुनीर’ आईने में ख़ुद को तक कर हैरान हुआ,
ये चेहरा कुछ और तरह था पहले किसी ज़माने में।

मुनीर नियाज़ी

हमें माशूक़ को अपना बनाना तक नहीं आता,
बनाने वाले आईना बना लेते हैं पत्थर से।

सफ़ी औरंगाबादी

मुद्दतें गुज़रीं मुलाक़ात हुई थी तुम से,
फिर कोई और न आया नज़र आईने में।

अपने आगे किसी को समझता नहीं,
उसके हाथों में इक आईना कौन दे।

मैं आईना हूँ टूटना मेरी फितरत है,
इसलिए पत्थरों से मुझे कोई गिला नहीं।

आईना हूं तेरा, क्यूं इतना कतरा रहे हो,
सच ही कहूंगा, क्यूं इतना घबरा रहे हो।

आईने भी तुझे कम पसंद करते है,
क्योकि उसे भी पता कि तुझे हम पसंद करते है।

आईना नज़र लगाना चाहे भी तो कैसे लगाए,
काजल लगाती है वो आईने में देखकर।

आईना देखते हैँ वो छुप छुप के बार-बार,
कभी जुल्फेँ बिगाड़ कर कभी जुल्फेँ सँवार कर।

कांच पर पारा चढ़ाओ तो,
आईना बनता है,
और किसी को आईना दिखाओ तो,
उसका पारा चढ़ जाता है।

आइना कब बनाओगे मुझ को,
मुझ से किस दिन मिलाओगे मुझ को।

आईना ये तो बताता है कि मैं क्या हूँ मगर,
आईना इस पर है खामोश कि क्या है मुझ में।

मुस्कुरा के देखो तो सारा जहॉ रंगीन है,
वरना भीगी पलकों से तो आईना भी धुंधला दिखता है।

आईना कभी क़ाबिल-ए-दीदार न होवे,
गर ख़ाक के साथ उस को सरोकार न होवे।

आईने में दिखता है टूटा सा अक्स अपना,
जख्मों की चोट खाकर यूं चटक सा गया हूं।

प्यार अपने पे जो आता है तो क्या करते हैं,
आईना देख के मुँह चूम लिया करते हैं।

झूठा है झूठ बात ये बोलेगा आईना,
आओ हमारे सामने हम सच बताएँगे।

पूछते हैं मुझसे की शायरी लिखते हो क्यों,
लगता है जैसे आईना देखा नहीं कभी।

आईना आज फिर रिश्वत लेता पकड़ा गया,
दिल में दर्द था और चेहरा हंसता हुआ पकड़ा गया।

आइना देख कर ये एहसास हुआ मुझे,
ये मोहब्बत हुलिया बिगाड़ देती है।

आईना उठाने की ज़हमत क्यू की जाना,
हमारी आंखो में कुछ देर देख लिया होता।

जब शक्ल कोई तन्हा कमरे में सँवरती है,
आईना ही जाने क्या उस पर गुजरती है।

आईना कुछ नहीं नज़र का धोखा है,
नज़र वही आता हैं जो दिल में होता है।

ख़्वाब का रिश्ता हक़ीक़त से न जोड़ा जाए,
आईना है इसे पत्थर से न तोड़ा जाए।

अंतिम कुछ शब्द

उम्मीद करता हूँ की आपको ऊपर दिए गए आईने पे कोट्स पसंद आये होएंगे। ऐसे कोट्स भविस्य में पढ़ते रहने के लिए हमारे ब्लॉग को फॉलो जरूर करे।