आचार्य प्रशांत क्या असली नाम प्रशांत त्रिपाठी है, जो एक भारतीय लेखक और अद्वैत वेदांत के शिक्षक हैं। वह गीता के सत्रह और उपनिषदों के साठ रूपों की शिक्षा देते हैं । इसके सिवा वह प्रशांत अद्वैत फाउंडेशन नामक एक गैर-लाभकारी संगठन के संस्थापक हैं। वो सभी लोगों को शाकाहारी भोजन के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
प्रशांत त्रिपाठी को बचपन से ही पढ़ने का बहुत शौक रहा है। पढ़ाई में लगन की वजह से ही उन्होंने पहले आईआईटी दिल्ली से इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की और फिर भारतीय प्रबंधन संस्थान, अहमदाबाद से मैनेजमेंट में डिग्री हांसिल की।
आचार्य प्रशांत ने कई किताबें लिखी है जिन्हे उन्होंने रोज बोलने वाली भाषाओं में लिखा है जिससे की आम लोग भी उनकी लिखी किताबों को समझ पाए। आचार्य प्रशांत ज्यादातर उपनिषद और अद्वैत वेदांत के सिद्धांतो का इस्तेमाल करते हुए लोगों को समझाने की कोशिश करते हैं।
आचार्य प्रशांत के कोट्स हिंदी में
बहुत सारी बातो से डरते हो, लेकिन जीवन के बेकार चले जाने से क्यू नही डरते हो
मन जहाँ जाता हो उसे जाने दो, क्योकि मन से लडाई करके आजतक ना तो कोई जीता है ना जीत सकता है।
मन की चंचलता कोइ समस्या नही है। तुम स्थिर नही हो ये समस्या है।
मृत्यु अनिवार्य है, लेकिन मृत्यु का भय अनिवार्य नहीं।
कुछ गलत हो गया है। उसे ठीक करो, रोओ नही। जवान आदमी हो भाई।
किसी को मत बतओ तुम्हे करना क्या है। उसे करके के दिखाओ।
जब दुख परेशान करे, तो दुख से कहो
सुख तो टिका नही , तू क्या टिकेगा।
मनुष्य जीना ही तब शुरु करता है
जब वो डरा हुआ नही होता है।
ऐसे जियो जैसे खेल हो, फिर जान लगाकर खेलो।
अगर अपने मर्जी से ही चल रहे हो, तो रुक कर दिखाओ।
आज मौका है जग जाओ।
एक दिन ऐसा अयेगा ,जब आप चाह कर भी नही जग पाओगे।
हार हो जाये कोइ बात नहीं,
हौशला नहीं टूटना चाहिये।
दुःख से बचने के लिये जिसकी तरफ भाग रहे हो, वो और भी बड़ा दुःख है।
जो कैद मे है। उसे चैन से सोना सोभा नही देता।
आग या तो जगा देती है, या जला देती है। जागना है, या जलना है।
एक जिंदगी है दबे-दबे जीने मे क्या मजा है।
सीधे रहो ,सरल रहो। यही आध्यात्मिकता है, यही परमात्मा है।
अभी को साधो कल अपने आप ठीक हो जायेगा।
अगर परेशान रहते हो तो पक्का है कि जीवन जीने के तरीके मे कोई भूल है।
प्रेम मे वादे की कोइ किमत नही।
प्रेम मे वे वादे भी निभ जाते है, जो किये ही नही।